राजस्थान : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दौसा पहुंचकर 18,100 करोड़ रुपये से अधिक लागत की सड़क विकास परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण किया। नये भारत में विकास, प्रगति और कनेक्टिविटी में बढ़ोतरी को मद्देनजर रखते हुए प्रधानमंत्री का जोर है कि देश में उत्कृष्ट सड़क अधोसंरचना तैयार की जाए। ऐसी ही एक महत्त्वपूर्ण परियोजना है दिल्ली-मुम्बई एक्सप्रेस-वे, जिसके सबसे पहले पूरे हो जाने वाले दिल्ली-दौसा-लालसोट सेक्शन का लोकार्पण प्रधानमंत्री ने किया।

दिल्ली-मुम्बई एक्सप्रेस-वे का दिल्ली-दौसा-लालसोट सेक्शन 246 किलोमीटर लंबा है, जिसे 12,150 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से विकसित किया गया है। इस सेक्शन के चालू हो जाने से दिल्ली से जयपुर का यात्रा समय पांच घंटे से कम होकर लगभग साढ़े तीन घंटे रह जाएगा। इस सेक्शन के खुल जाने से पूरे क्षेत्र में आर्थिक विकास को भी शक्ति मिलेगी।

एक्सप्रेस-वे की प्रमुख बातें
दिल्ली-मुम्बई एक्सप्रेस-वे भारत का सबसे लंबा एक्सप्रेस-होगा, जिसकी कुल लंबाई 1,386 किलोमीटर है। इसके बन जाने से दिल्ली और मुंबई के बीच की यात्रा दूरी में 12 प्रतिशत की कमी आएगी और सड़क की लंबाई 1,424 किलोमीटर से कम होकर 1,242 किलोमीटर रह जाएगी। यात्रा के समय में भी 50 प्रतिशत की कमी आएगी। पहले जहां 24 घंटे लगते थे, वहीं अब 12 घंटे लगेंगे। यह एक्सप्रेस-वे छह राज्यों दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र से होकर गुजरेगा तथा कोटा, इंदौर, जयपुर, भोपाल, वडोदरा और सूरत जैसे मुख्य शहरों को जोड़ेगा। एक्सप्रेस-वे 93 पीएम गति शक्ति आर्थिक संकुलों, 13 बंदरगाहों, आठ प्रमुख हवाई अड्डों और आठ बहुविध लॉजिस्टिक पार्कों को भी सुविधा प्रदान करेगा। इसके अलावा जेवर एयरपोर्ट, नवी मुम्बई एयरपोर्ट और जेएनपीटी पोर्ट जैसी निर्मित होने वाली ग्रीनफील्ड अधोसंरचनाओं को भी फायदा पहुंचेगा। इस एक्सप्रेस-वे से आसपास के सभी क्षेत्रों की विकास-दिशा पर निर्णायक सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इस तरह देश के आर्थिक बदलाव में इसका महत्त्वपूर्ण योगदान सुनिश्चित होगा।

अपने कार्यक्रम के दौरान, प्रधानमंत्री 247 किलोमीटर लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं की भी आधारशिला रखेंगे, जिन्हें 5940 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से विकसित किया जाना है। इन परियोजनाओं में 2000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से विकसित होने वाला बांदीकुई से जयपुर का 67 किमी लंबा चार लेनों वाला शाखा-मार्ग, लगभग 3775 करोड़ रुपये से विकसित होने वाला कोटपुतली से बाराओदानियो और लगभग 150 करोड़ रुपये की लागत से विकसित होने वाले लालसोट-करोली सेक्शन के दो लेन वाले पक्के किनारे (पेव्ड शोल्डर) शामिल हैं।