आगामी शैक्षणिक सत्र से लागू होंगी मान्यता की नई शर्तें, अभी पूरे शिक्षक नियमित रखने का नियम है


भोपाल । मध्य प्रदेश के नर्सिंग कालेजों में गड़बडिय़ां सामने आने के बाद अब मान्यता की शर्तों में कई बड़े बदलाव की तैयारी है। अभी 10 सीट पर एक शिक्षक की अनिवार्यता है। अब इसमें ढिलाई कर 20 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक का मापदंड निर्धारित किया जा रहा है। दूसरी ढील यह दी जा रही है कि कालेज संचालक 40 प्रतिशत संविदा शिक्षक भी रख सकेंगे। अभी पूरे नियमित रखने का नियम है। नियमित का वेतन ज्यादा रहता है, इसलिए कालेजों का खर्च कम करने के लिए यह व्यवस्था की जा रही है। आगामी शैक्षणिक सत्र (2023-24) से नई शर्तें लागू की जाएंगी।
यह भी प्रस्ताव है कि प्रथम वर्ष को छोड़ बाकी कक्षाओं के लिए संबद्ध अस्पतालों में क्लीनिकल प्रशिक्षण रात में भी कराया जा सके। इसका लाभ यह होगा कि अधिक से अधिक विद्यार्थियों को अच्छे अस्पताल में प्रशिक्षण का मौका मिल सकेगा। यह शर्तें निर्धारित होने के बाद ही वर्ष 2023-24 की मान्यता के लिए पोर्टल खोला जाएगा। एक फैकल्टी का नाम फर्जी तरीके से दूसरे कालेजों में न रहे, इसलिए आधार सत्यापन भी अनिवार्य किया जाएगा।

नर्सिंग कालेजों की जांच कर रही सीबीआइ
नवीनीकरण की शुल्क 25 हजार से बढ़ाकर दो लाख की जाएगी। शर्तों में ढिलाई का उद्देष्य यह है कि नर्सिंग कालेज निर्धारित गुणवत्ता के अनुसार चल सकें। अभी मापदंड कठिन होने होने के कारण कई नर्सिंग कालेज कागजों में ही खानापूर्ति करते हैं। हाई कोर्ट के निर्देश पर प्रदेश के 364 नर्सिंग कालेजों की जांच सीबीआइ कर रही है। प्रारंभिक जांच में कई गड़बडिय़ां भी सामने आ चुकी हैं। हाई कोर्ट ने नर्सिंग काउंसिल की निगरानी व्यवस्था पर गंभीर टिप्पणी भी की है। ऐसे भी मामले सामने आए हैं कि एक ही फैकल्टी का नाम 15 कालेजों में दर्ज मिला है। ऐसे में सरकार मापदंड सरल कर इनका कड़ाई से पालन कराएगी।