दिल्ली जल बोर्ड में हुई 20 करोड़ की गड़बड़ी को लेकर उपराज्यपाल ने मुख्य सचिव को एफआईआर दर्ज करवाने के निर्देश दिए हैं। इसमें बताया गया है कि 20 करोड़ रुपयों की गड़बड़ी में जल बोर्ड के अधिकारियों के अलावा निजी कंपनी एवं बैंक भी शामिल रहा है। उन्होंने 15 दिनों के भीतर गड़बड़ी में शामिल जल बोर्ड के अधिकारियों को चिन्हित कर उनकी जिम्मेदारी तय करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने इस मामले में गड़बड़ी की रकम को वापिस हासिल करने के निर्देश दिए हैं।

उपराज्यवाल सचिवालय सूत्रों ने बताया कि यह एक अनोखा घोटाला है जिसमें लोगों से लिया गया पानी का बिल जल बोर्ड की जगह एक निजी बैंक खाते में भेजा गया। जून 2012 में दिल्ली जल बोर्ड ने कॉर्पोरेशन बैंक को तीन साल तक पानी का बिल एकत्रित करने के लिए अधिकृत किया था। इसके बाद 2016 एवं 2017 में भी उन्हें इस काम को जारी रखने के लिए कहा गया। 2019 में जब इस गड़बड़ी का खुलासा हुआ तब भी उनके पास यह अधिकार जारी रखा गया।बैंक ने दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियों से मिलीभगत कर तय नियमों का उल्लंघन करते हुए एक निजी कंपनी को बिल एकत्रित करने एवं उसे दिल्ली जल बोर्ड के खाते में जमा कराने की जिम्मेदारी दी दी। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के दिल्ली जल बोर्ड अध्यक्ष रहते हुए 10 अक्टूबर 2019 को पता चला कि यहां काफी गड़बड़ी हुई है। 11 जुलाई 2012 से लेकर 10 अक्टूबर 2019 के बीच रुपये जमा कराने में 20 करोड़ रुपये की गड़बड़ी हुई है।

उपराज्यपाल ने इस गड़बड़ी को लेकर दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियों पर सख्त एक्शन लेने को कहा है जिन्होंने कार्रवाई करने की जगह इस कंपनी के कॉन्ट्रैक्ट को आगे बढ़ाया। उनका रवैया बताता है कि उनकी मिलीभगत थी। रुपये जमा नहीं होने की जानकारी शुरुआत से जल बोर्ड एवं बैंक अधिकारियों को थी। लेकिन इस कंपनी के खिलाफ दोनों में से किसी ने एक्शन नहीं लिया। इसके चलते जल बोर्ड को भारी नुकसान हुआ।