जयपुर। राजस्थान के 19 हजार 422 किसानों की जमीन राष्ट्रीयकृत बैंकों का कर्ज नहीं चुकाने के कारण कुर्क हुई है। साल 2019 से लेकर 2022 तक कुर्क हुई जमीन को कुर्की मुक्त करवाने के लिए कई किसान राज्य सरकार से लेकर बैंकों के अधिकारियों तक चक्कर लगा रहे हैं। अधिकांश किसानों का कहना है कि वे किश्तों में कर्ज चुकाने को तैयार हैं, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो रही है।दूसरी ओर, प्रदेश के सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना का कहना है कि कांग्रेस सरकार ने चार साल में 20 लाख लघु एवं सीमांत किसानों के 16 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के कर्ज माफ किए हैं। ये कर्ज सहकारी बैंकों एवं ग्राम सेवा सहकारी समितियों के हैं। आंजना ने कहा कि जिन किसानों के पास दो हेक्टेयर तक जमीन है, उनके कर्ज माफ किए जा रहे हैं। यह प्रक्रिया निरंतर जारी है।

आंजना ने कहा कि राष्ट्रीयकृत बैंकों के कर्ज माफ करने का अधिकार राज्य सरकार के पास नहीं है। केंद्र सरकार ही इस बारे में निर्णय कर सकती है। राष्ट्रीयकृत बैंकों के कर्ज माफ करने को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है। आंजना ने कहा, "जिन किसानों की जमीन कुर्क हुई है, उन्हें राहत देने को लेकर भी सरकार विचार कर रही है।"राज्य सरकार के राजस्व मंडल ने प्रदेश के सभी 33 जिलों के किसानों का विवरण तैयार किया है।

इसमें सबसे ज्यादा 4,421 किसानों की जमीन अलवर जिले में कुर्क हुई। वहीं, सबसे कम दस किसानों की जमीन अजमेर जिले में कुर्की हुई। प्रदेश के डूंगरपुर, बांसवाड़ा एवं जैसलमेर जिलों में एक भी किसान की जमीन कुर्क नहीं हुई। इन तीनों जिलों के किसानों से नब्बे फीसदी कर्ज सहकारी बैंकों से लिया है।राज्य सहकारी विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, सहकारी बैंकों के दो लाख रुपये तक के फसली कर्ज माफ किए जा रहे हैं। साथ ही, नये कर्ज लेने वाले किसानों को दस लाख तक के बीमा कवर का लाभ मिल सकेगा। उल्लेखनीय है कि साल 2018 में राज्य विधानसभा चुनाव अभियान के दौरान तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने किसान कर्ज माफी का वादा किया था।