भोपाल । दो महीने बीत जाने के बावजूद भी मांगों की सुनवाई नहीं होने के खिलाफ लामबंद हुए डाक्टर बुधवार से हड़ताल पर जा रहे हैं। मध्य प्रदेश के सरकारी डॉक्टर्स के आंदोलन के दूसरे दिन अपनी मांगों को लेकर आंदोलन शुरू कर दिया है। सोमवार को डॉक्टर्स ने काली पट्टी बांधकर काम किया। मंगलवार को सुबह 11 बजे से 1 बजे तक डॉक्टर्स ने काम नहीं किया। बुधवार से डॉक्टर्स अनिश्चित कालीन हड़ताल पर जाएंगे। मंगलवार को डॉक्टर्स अपने अपने कार्यस्थल पर दो घंटे धरने पर बैठे। उन्होंने ओपीडी में मरीजों को नहीं देखा।
हड़ताल में प्रदेश भर के 10 हजार डॉक्टर्स समेत 3300 जूनियर डॉक्टर्स, 1400 एनएचएम संविदा डॉक्टर्स और 1050 बोंडेड डॉक्टर्स आंदोलन में शामिल हुए। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, मध्य प्रदेश चिकित्सा महासंघ के पदाधिकारियों का कहना है कि अब वे आश्वासन के भरोसे अब अपना निर्णय वापस नहीं लेंगे। बता दें, डॉक्टर समयबद्ध पदोन्नति, प्रशासनिक अधिकारियों के हस्तक्षेप को कम करने समेत अन्य मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं। इससे पहले भी फरवरी माह में डॉक्टर हड़ताल पर गए थे। इसके बाद सरकार के आश्वासन पर काम पर लौट आए थे। इसके बावजूद उनकी मांगों पर अमल नहीं किया गया।
दरअसल डॉक्टर लंबे समय से विभाग की विसंगतियां दूर करने और केंद्र की तर्ज पर डीएसीपी लागू करने की मांग कर रहे हैं। ऐसे में डीएसीपी नीति लागू करने, प्रशासनिक अधिकारियों की दखलअंदाजी को लेकर हो रहा आंदोलन। बताया जाता है कि डॉक्टर्स की मांगों पर कोई सकारात्मक पहल होती नजर नहीं आई तो शासकीय / स्वशासी चिकित्सक महासंघ ने प्रदेशव्यापी हड़ताल का ऐलान कर दिया। शासकीयध् स्वशासी चिकित्सक महासंघ के बैनर तले पूरे प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में कार्यरत डॉक्टर्स ने सोमवार 1 मई को बांह पर काली पट्टी बांधकर विरोध जाहिर किया था। डॉक्टर्स का ये भी कहना है कि सरकार के साथ 31 मार्च को बातचीत के दौरान कई मुद्दों पर सहमति बन गई थी। सरकार की ओर से सहमति तो जताई गई थी, लेकिन सरकार ने इसे लेकर आदेश जारी नहीं किया। सूबे के सरकारी अस्पतालों में कार्यरत करीब 15 हजार डॉक्टर्स ने इसी के विरोध में काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन किया था। इस प्रदेशव्यापी विरोध-प्रदर्शन में सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, जिला अस्पताल, सिविल अस्पताल, चिकित्सा महाविद्यालय के चिकित्सक, संविदा पर कार्यरत चिकित्सक और बांडेड चिकित्सक शामिल हुए थे।
केंद्र सरकार, बिहार और अन्य राज्यों की तरह प्रदेश के चिकित्सकों के लिए डीएसीपी योजना का प्रावधान हो। स्वास्थ्य विभाग, चिकित्सा शिक्षा विभाग और ईएसआई की वर्षों से लंबित विसंगतियां दूर की जाएं। चिकित्सकीय विभागों में तकनीकी विषयों पर प्रशासनिक अधिकारियों का हस्तक्षेप दूर किया जाए। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत कार्यरत संविदा चिकित्सकों (एमबीबीएस ) की एमपीपीएससी के माध्यम से की जाने वाली नियुक्तिध् चयन प्रक्रिया में प्रतिशत परिधि को समाप्त कर संशोधन किया जाए। जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के ग्रेजुएशन के बाद ग्रामीण सेवा बॉन्ड राशि को कम किया जाए और ट्यूशन फीस भी कम की जाए जो देश में सबसे अधिक है।  विभाग में कार्यरत समस्त बंधपत्र चिकित्सकों का वेतन समकक्ष संविदा चिकित्सकों के समान किया जाए।