विजया पाठक, संपादक 

पॉपुलर आईसक्रीम कंपनी टॉप-इन-टाउन को दबाव देकर खरीदने की मंशा कहीं "सुधामृत" का विस्तार तो नहीं?

        होटल ताज जो कि भोपाल में बेशकीमती जमीन पर बना है, उसके लिये दिलीप बिल्‍डकॉन कंपनी के मालिक दिलीप सूर्यवंशी द्वारा बहुत बड़ा खेल रचा गया है। होटल ताज जिस जमीन पर बना है वो मत्स्य विभाग के मछली घर के लिए चिंहित की गई थी, पर जब प्रदेश के मुखिया मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का प्रोजेक्ट में दिलजस्पी हो तो हो तो पूरी सरकार कम्पलाइंज की पूर्ति में लग जाती है। इस जमीन के लिए जो टेंडर हुए उसमें भोपाल के नामचीन होटल व्यवसाईयों ने टेंडर भरे, जिसे अचानक कैंसल कर दिए गए। रातोंरात उस जमीन को जेनेक्स प्राइवेट लिमिटेड जिसके डायरेक्टर ग्रीन वुड्स कंट्री क्लब के मालिक थे (आज की सय्याजी होटल) और अन्य लोग हैं उनको आवंटित कर दिया। इन्हीं के साथ दिलीप सूर्यवंशी ने होटल खोली गई है। इस होटल के बगल में ही सीवेज पंपिंग स्टेशन और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट है। साथ ही नाले का भी एन्क्रोचमेंट करके बना है। सवाल यह बनता है कि आखिर सरकार का इसमें ऐसा क्या व्यतिगत हित था, जो कि दिलीप सूर्यवंशी के प्रेशर में जेनेक्स प्राइवेट लिमिटेड को बिना टेंडर के जमीन से दे दी गई, इसके साथ ही सारे नियम शिथिल किये गये।
          विशेषज्ञों की मानें तो सीबीआई ने जब दिलीप सूर्यवंशी की कंपनी पर छापेमार कार्यवाही की तो विभाग ने दिलीप सूर्यवंशी द्वारा शहर की प्रमुख स्थान पर खोले गए होटल के अंदर यह कार्यवाही क्यों नहीं की। बताया जा रहा है कि भदभदा पुल स्थित जिस जमीन पर दिलीप सूर्यवंशी ने ताज होटल खोला है। वो जमीन को उन्होंने सरकार से ओनेपोने दामों पर खरीदा। इतना ही नहीं वो जमीन मत्स्य विभाग के पास नए मछली घर को बनाने के लिए चिन्हित किया गया था। लेकिन दिलीप सूर्यवंशी ने अपने सियासी संबंधों का उपयोग करते हुए जमीन को ओनेपोने दामों पर खरीदकर उस जमीन पर होटल तान दी। अगर सीबीआई इस जमीन से जुड़े कागजात सही ढंग से खंगाल ले तो निश्चित ही उन्हें एक बड़ी सफलता मिल सकती है। जानकारी के मुताबिक दिलीप बिल्डकॉन कंपनी के देशभर के कार्यालयों में हुई छापेमार कार्यवाही के बाद से ही सियासी गलियारों में चर्चाएं तेज हो गई हैं। दिलीप सूर्यवंशी ने अपने प्रभाव और सियासी संबंधों का उपयोग करते हुए पहले तो प्रदेश के मीडिया जगत से छापेमार कार्यवाही की खबरों को रूकवाया। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिरकार जब सीबीआई ने कंपनी के दफ्तरों में छापेमार कार्यवाही की है तो फिर सीबीआई के अधिकारी कार्यवाही को अंतिम छोर तक क्यों नहीं ले गए? क्यों बीच में ही कार्यवाही से जुड़ी ब्रीफिंग देना अधिकारियों ने बंद कर दी?
 

क्या है दिलीप बिल्डकॉन और लखनऊ स्थित ट्रैवलिंग एजेंसी कनेक्शन, क्या हनीट्रैप पार्टी-2 का भाग है ट्रैवलिंग एजेंसी कनेक्शन?
       

   दिलीप बिल्डकॉन के ऊपर सीबीआई के छापों से इस कंपनी के कई राज़ परत दर परत खुल रहे हैं। इसमें अहम है दिलीप बिल्डकॉन का लखनऊ कनेक्शन। दरअसल लखनऊ स्थित ट्रैवलिंग एजेंसी की तरफ से प्रदेश के कई नेताओं, अधिकारी उनके नाते रिश्तेदारों को विभिन्न प्रकार की सेवाएं दी जाती थी जिसकी स्पॉन्सरशीप दिलीप बिल्डकॉन के तरफ से होती थी। यह तो जगजाहिर है की फोकट में दुनिया में कोई किसी का काम नहीं करता, इन सेवाओं के बदले अवश्य इन प्रबुद्ध लोगों ने कंपनी की तरफ से निष्ठा निभायी होगी। भविष्य में ऐसे नेताओं और अधिकारियों पूरी सूची जरूर पब्लिश होगी। इस ट्रैवलिंग एजेंसी का पेमेंट सेटलमेंट दिलीप बिल्डकॉन के यूनियन बैंक के खाते से होता था। निश्चित तौर पर सीबीआई के पास इन ओबलाइजेड अधिकारियों और नेताओं की सूची पहुचायीं जायेगी जो कि ऑफिस आफ प्रॉफिट की श्रेणी में आता है।
 

दिलीप बिल्डकॉन पर है आईएएस-नेताओं के सुपुत्र-सुपुत्रियों के करियर शैपर की जिम्मेदारी?
     

     दिलीप बिल्डकॉन के मालिक प्रदेश के कई प्रभावशाली लोगों के सपुत्र-सुपुत्रियां के करियर शैपर का काम भी कर रहे हैं। अब इसके बदले वो क्या आइब्लीगेशन लेते हैं वो तो जगजाहिर है। सूत्रों के हवाले से प्रदेश के एसीएस पद पर कार्यरत अल्पसंख्यक समुदाय से आने वाले अधिकारी की पुत्री, जो कि अर्नेस्ट एंड यंग में कार्यरत है। उसने प्रदेश के मुखिया के सुपुत्र की एक कंपनी स्थापित कराई और बेनामी नाम के मालिकों के माध्यम से पूरे प्रदेश में मेडिकल सामग्री सप्लाई कराई। इसमें करोड़ों का मुनाफा कमाया गया। अभी हाल में ही एक आइसक्रीम कंपनी को डरा के खरीदने के पीछे भी "सुधामृत" (जिसका संचालन मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बेटे द्वारा किया जा रहा है) का विस्तार हो सकता है क्योंकि वो अपनी आइसक्रीम जल्दी लॉन्च करने वाले हैं। इन सब मामलों की गहरी विवेचना अगर सीबीआई करे तो "दूध का दूध और पानी का पानी" हो सकता है।
          पूर्व में हुए सेज ग्रुप भोपाल में आयकर के छापों में भी प्रदेश के मुखिया के पुत्र के कुछ दस्‍तावेज बरामद हुए थे जिन्‍हें आयकर विभाग अपने साथ ले गया था। सेज ग्रुप बुधनी विधानसभा में हुए प्रेम सुंदर लीग (पीएसएल) क्रिकेट टूर्नामेंट की प्रमुख स्‍पान्सर थी। इस क्रिकेट टूर्नामेंट में बुधनी विधानसभा के 180 ग्राम पंचायतों की सहभागिता थी। महत्‍पूर्ण बात यह है कि पूर्व में आयकर और अबकी सीबीआई छापों में प्रदेश के मुखिया के पुत्र के खिलाफ केंद्र की एजेंसियां दस्‍तावेज इकटठा कर रही हैं। कहीं यह प्रदेश के मुखिया को घेरने की कवायद तो नहीं।