सरकारी क्षेत्र के बैंकों को बड़े कॉरपोरेट खातों को दिए गए कर्ज पर कड़ी निगरानी करने का आदेश दिया गया है। साथ ही, सरकार ने इन बैंकों से दो सप्ताह के भीतर प्रमुख क्षेत्रों में व्यावसायिक जोखिमों से निपटने के लिए एक योजना भी पेश करने को कहा है।

वित्त मंत्री ने शनिवार को ही सरकारी बैंकों को प्रमुखों के साथ एनपीए व जमा सहित अन्य मुद्दों को लेकर बैठक की थी। भारतीय बैंकों को अतीत में दिवालिया कानून के तहत कर्ज ग्रसित कंपनियों के प्रति जोखिम पर गहरी कटौती करनी पड़ी थी। एक बैंकर ने कहा, बड़े कॉरपोरेट कर्ज खातों की जांच बढ़ाना बुद्धिमानी होगी। सूत्रों ने कहा, बैंकों को बढ़ते ब्याज के बीच बैलेंसशीट में मार्क-टू-मार्केट प्रभाव की निगरानी करने और तरलता अनुपात को बनाए रखने के लिए भी कहा गया था। 

मौजूदा बैंकिंग संकट से बढ़ी चिंता

एक बैंकर ने कहा, अमेरिका-यूरोप में बैंकिंग संकट ने चिंता बढ़ा दी है। इस बीच, भारत में उधारदाताओं को अपनी संपत्ति-देयता प्रोफाइल के आकलन को बढ़ाने के लिए भी कहा गया है। आरबीआई गवर्नर ने कहा था, भारतीय बैंकों ने अप्रत्याशित तनाव से बचाने के लिए पर्याप्त बफर का निर्माण किया है।

छह सहकारी बैंकों पर जुर्माना, दिल्ली व यूपी के भी एक-एक

केवाईसी नियमों का पालन नहीं करने आरबीआई ने छह सहकारी बैंकों पर 12.30 लाख का जुर्माना लगाया है। इसमें से एक उत्तर प्रदेश का अलीगढ़ जिला सहकारी बैंक है, जिस पर दो लाख रुपये जुर्माना लगा है। बैंक ने एग्रीमेंट की वैधता का पालन नहीं किया था।